मैँने अखबार मेँ पढ़ा कि एक महिला से उसके शराबी पति ने शराब के लिए पैसे माँगे जो कि उसके पास नहीँ थे तो उसने मना कर दिया। फिर पति ने मंगलसूञ माँगा बेचकर शराब लाने के लिए तो उसने कहा ये मेरा सुहाग है इसे मैँ नहीँ दुँगी ।इतने पर पति ने महिला के मुँह पर तेजाब फेँक दिया और मँगलसूञ तोड़कर भाग गया। मैँने इस घटना को इन शव्दोँ मेँ ब्यान किया हैँ ।.....................
पढ़कर रह गया हैरान,
मैँ इस समाचार को।
सुहाग ने माँगा अबला से,
जब उसके सुहाग को।।
देने से कर दिया मना,
जब उसने अपने सुहाग को,
झोँक दिया उस हैवान ने,
उसकी आँखोँ मेँ तेजाब को।।
पहले था इंसान देवता,
क्यूँ बना दिया हैवान
अब इस इंसान को,
कर्म यही रहा इंसान अगर तेरा,
तरस जायेगा तू नाज्मी के दीदार को।।
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2 comments:
एक लोमहर्षक घटना ।
आपने इसे अपनी रचना का विषय बनाया , बहुत अच्छा किया ।
होली की अपार शुभ कामनाएं...बहुत ही सुन्दर ब्लॉग है आपका....मनभावन रंगों से सजा...
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