अब इसी में खुश हूँ
कुछ वक़्त उनके दिल में
तो रहा
अरमानों को अधूरा मुकाम
तो मिला
उनसे बेहतर किस्मत मेरी
जिन्हें ये अहसास कभी ना मिला
याद करने को खुशनुमा ख्याल
तो मिला
फूल मोहब्बत का सूख गया
निरंतर अश्क बहाने का बहाना
तो मिला
दिल किसी और से लगाने का
सबाब तो मिला
वफ़ा दिखाने का इक और मौक़ा
तो मिला
06—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
3 comments:
bhawpurn pangtiyan....ek dard ke saath.....
nice post.
अच्छी रचना.
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