कॉन्ट्रैक्ट पर आती हैं लड़कियां, 1 दिन की कमाई 1 लाख - पंकज त्यागी


ग्रेटर कैलाश।। इन दिनों सेक्स रैकेटों की लगातार धरपकड़ कर रहे क्राइम ब्रांच को ग्रेटर कैलाश में पकड़ी गई छह उजबेक लड़कियों की सरगना जुलेखा उर्फ जूली (40) की तलाश है। गिरफ्तार लड़कियों ने पुलिस को बताया है कि उजबेकिस्तान की जुलेखा के पास मल्टीपल वीजा है।

क्राइम ब्रांच के सीनियर अफसर ने बताया कि गिरफ्तार की गई छह लड़कियों में से सिर्फ एक से पासपोर्ट बरामद हो सका है। उसके पास वैलिड टूरिस्ट वीजा मिला। बाकी पांच लड़कियों ने पुलिस को पासपोर्ट नहीं दिए। इसकी वजह यह है कि केस के दौरान पासपोर्ट सीज हो जाते हैं, जिस कारण ये लड़कियां भारत से बाहर नहीं जा पातीं। इन पांच लड़कियों के खिलाफ देह व्यापार निरोधक कानून के साथ फॉरनर्स एक्ट के तहत भी एफआईआर दर्ज की गई है।

ग्रेटर कैलाश पार्ट-2 के फ्लैट से पुलिस को बरामद हुए जुलेखा के दो रजिस्टरों से जानकारी मिली है कि ये लड़कियां हर दिन 75,000 से एक लाख रुपये तक कमा रही थीं। इन लड़कियों ने इस तरह के इंटरनैशनल सेक्स रैकेटों के बारे में क्राइम ब्रांच को जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि पूर्व सोवियत संघ से अलग हुए देशों उजबेकिस्तान, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान आदि में बेरोजगारी की वजह से बहुत सी लड़कियां इन रैकेटों के  चंगुल में फंस जाती हैं। बहुत सी लड़कियां ईजी मनी कमाने के मकसद से इन रैकेटों से कॉन्ट्रैक्ट करती हैं। 


1 लाख डेली
ग्रेटर कैलाश पार्ट-2 में फ्लैट से बरामद जुलेखा के दो रजिस्टरों से पता चला है कि ये लड़कियां हर दिन 75,000 से 1 लाख रुपये तक कमाकर देती थीं।

15 दिन के एक लाख
कॉलगर्ल और रैकेट में कॉन्ट्रैक्ट अमूमन 15 दिन से दो महीने का होता है। कॉलगर्ल रैकेटियर को अपने बैंक अकाउंट का नंबर देती है , जिसमें तय रकम जमा करा दी जाती है। 15 दिन के लिए एक लाख से लेकर तीन महीनों के लिए पांच - छह लाख रुपये में कॉन्ट्रैक्ट होता है।

हर दिन 4-5 कस्टमर
दिल्ली आने के बाद लड़कियों की रिहाइश , खाने और ट्रांसपोर्टेशन का इंतजाम रैकेट की जिम्मेदारी होती है। हर लड़की को एक दिन में कम से कम चार - पांच कस्टमर के पास जाना होता है। इससे ज्यादा जगह जाने के लिए कोई लड़की तैयार नहीं होती।

10-15 दिन जेल
कस्टमर से पैसा पिम्प लेता है , लड़की नहीं। कॉन्ट्रैक्ट के दौरान अगर पुलिस की रेड पड़ गई तो 10-15 दिन तक जेल में रहना तय है , नहीं तो लड़कियां वापस अपने मुल्क चली जाती हैं।
कॉम्पिटिशन से भंडाफोड़
इन दिनों सेक्स रैकेटों की ज्यादा धरपकड़ की वजह इन रैकेटों में आपसी कॉम्पिटिशन बताया जा रहा है। एक गिरोह के पिंप पुलिस वालों से गठजोड़ कर दूसरे रैकेट की लड़कियों को गिरफ्तार करवा रहे हैं। पिछले दिनों महरौली से गिरफ्तार नगमा खान ने आरोप लगाया था कि उसे पुलिस वालों से मिलकर सोनू पंजाबन ने गिरफ्तार कराया था । 
News Source : http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/9362521.cms

4 comments:

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

अखबारों और चैनलों पर इस तरह की खबरों को आने दीजिए, मुझे लगता है कि ब्लाग को ऐसी रिपोर्ट से बचाए रखना चाहिए।
अगर लिखा भी जाए तो इस किन मजबूरियों में ये लड़कियां ऐसे काम में आती हैं उसी पर फोकस होना चाहिए।

DR. ANWER JAMAL said...

आदरणीय महेंद्र जी ! इस न्यूज़ को यहाँ फ़ोरम के मंच पर रखने का मक़सद यही है कि इस बात पर ग़ौर ओ फ़िक्र किया जाए कि किन समस्याओं के चलते ये लड़कियाँ यह शर्मनाक काम कर रही हैं और समाज में क्या समस्याएँ खड़ी कर रही हैं और इन समस्याओं का निराकरण क्या है ?
इस बारे में आपको भी अपना नज़रिया सामने रखना चाहिए ।

Navin said...

श्री अनवरजी,
मै श्री महेन्द्रजी से सहमत हु की ये मंच एक अखबार नही बन जाना चाहिये. अगर आप कोइ मुदा उठाते है तो उस पर आपके विचार जरूर सामिल होने चाहिये. सिर्फ समस्या बताने से कुछ हल नही होता. समस्या कैसे खडी हुइ और उसके बारे मे लेखककी अपनी टिप्पणी बहुत जरुरी है.

DR. ANWER JAMAL said...

हरेक समस्या का कारण और निवारण
@ आदरणीय महेन्द्र श्रीवास्तव जी ! हम आपकी राय की क़द्र करते हैं। आपने मंच के हित में एक सलाह दी है और हम उसे क़ुबूल करते हैं हालांकि हम आपकी सलाह से असहमत हैं। हम अपनी राय बदले बिना इस मंच के लिए आपकी राय को पॉलिसी बना लेते हैं ताकि आपको एक बड़े के तौर पर सम्मान दिया जा सके क्योंकि आप हमसे उम्र में भी बड़े हैं और आपका तजर्बा भी हमसे ज़्यादा है।
लेकिन आपसे असहमत होने का मतलब यह नहीं है कि हम आपकी राय या तरीक़े को ग़लत समझते हैं।
नहीं, आपकी राय ठीक है लेकिन हमारा तरीक़ा भी ग़लत नहीं है।
इस मंच के सदस्य वही लोग हैं जिनके घरों में समाचार पत्र आता है। दैनिक हिन्दुस्तान एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र है। सभ्य घरों के मर्द, औरत और बच्चे सभी उसे पढ़ते हैं। उससे कोई सामग्री लेकर यहां पेश करना भला अनुचित कैसे हो सकता है ?
यह मंच केवल कहानी और कविता आदि के लिए नहीं बना है। यह मंच समाज की समस्याओं के प्रति जागरूकता लाने के लिए और लोगों को एकजुट करके सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने के लिए बना है।
हक़ीक़त यह है कि आज हमारे समाज को ड्रग्स, सैक्स और हथियारों के अवैध व्यापार आदि ने खोखला करके रख दिया है। इनसे नज़रें चुरा लेने से ये समस्याएं शून्य नहीं हो जाएंगी और ऐसा आप भी नहीं मानते।
आपने कहा है कि न्यूज़ के साथ उसका विश्लेषण ज़रूर होना चाहिए।
आपकी बात ठीक है लेकिन बिना व्यूज़ के केवल न्यूज़ देना भी सभ्य दुनिया में मान्य है बल्कि इसे श्रेष्ठता प्राप्त है।
आप जानते हैं कि इस विषय में ब्लॉग जगत में भी बहुत से किन्तु परन्तु और बहुत से नज़रिये हैं। इसीलिए इस बार यहां केवल न्यूज़ रख देना श्रेयस्कर लगा कि देखें हमसे भिन्न विचारधारा वाले लोग इसके बारे में क्या राय देते हैं ?

हम जो व्यूज़ रखते हैं, वह अब यहां सबको मालूम हैं। अब यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि हमारा मानना यह है कि इस दुनिया का एक पालनहार है जिसे दुनिया की अधिसंख्य आबादी मानती है और उसकी ओर से आने वाले महापुरूषों की शिक्षा और उनका इतिहास भी रखती है और वह आबादी कहती है कि हमारे महापुरूषों ने हमें हत्या, व्याभिचार, चोरी, झूठ और हरेक बुराई से रूकने का उपदेश दिया है और दया, बलिदान और परोपकार का आदेश दिया है। महापुरूषों की महान शिक्षा ही हमारा सब कुछ है।
हमारा कहना यह है कि जब हम सबके पास इतने सुंदर सिद्धांत हैं तो बस अब फटाफट उन पर चलना शुरू कर दिया जाए।
हरेक समस्या का हल तुरंत हो जाएगा। जो जिस धर्म-मत को मानता है, वह उसका पालन तो करे।
विडंबना यही है कि हम ऐसा नहीं करते और सारी समस्याओं का मूल यही है।
हम अपने रोज़मर्रा के कामों में झूठ बोलते हैं और हमसे हमारे बच्चे यही झूठ सीख लेते हैं। जब धर्म पर हम चलेंगे ही नहीं तो फिर संयम और संतोष आएगा कहां से ?
यही वजह है कि आज हरेक समुदाय में नशेड़ी, हत्यारे और वेश्याएं मौजूद हैं चाहे वे किसी भी धर्म-मत को मानते हों। अगर उनके जीवन में धर्म होता तो वे इन अपराधों को न करते।
हमारा यह नज़रिया आज हिंदी ब्लॉग जगत में आम है।
अगर किसी के पास इससे बेहतर नज़रिया है और वह इंसानी मसअलों को सुलझाने में ज़्यादा सहायक है तो हम अपना विचार बदलकर उसे ग्रहण कर लेंगे।
ये चंद बातें आपके सामने विनम्र विनती के रूप में प्रस्तुत हैं।
आपने मंच के हित में सोचा, हम आपके शुक्रगुज़ार हैं।
यहां आपका सदा स्वागत है।

शुक्रिया !

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