मुझे मेरा मेरे परिजनों सी बिछड़ने का जमाना याद आया .........
में श्रीमती रिजवाना अख्तर मेरे शोहर अख्तर खाना अकेला के साथ मेरे बेटे शाहरुख़ खान को अमिति युनिवेरसीटी नोयडा में एडमिशन दिलवाने गये थे ..२३ जुलाई को हम दिल्ली हमारी ननद के यहाँ से रवाना हुए और शाहरुख को लेकर अमिति पहुंचे ..अमिटी में देश के दूरदराज़ इलाकों से कई बच्चे अपने माता पिता के साथ आये थे हर माँ बाप का दिल अपने बच्चों में अटका हुआ था ..कहते है के तोते में जादूगर की जन होती है लेकिन आजकल कलियुग में बच्चों में माँ बाप की जान होती है ..खेर मेरे बच्चे शाहरुख का एडमिशन हुआ अनाउंस हुआ के अब बच्चे हमारे हुए कोई बच्चा होस्टल छोड़ कर नहीं जायेगा ..खेर हम बच्चे को होस्टल छोड़ने गए लेकिन अब मुझ से सहा नहीं जा रहा था मेरे आंसू थे के उबल कर उफान कर बाहर आ रहे थे में अपनी सिसकियाँ नहीं दबा पा रही थी ..मेरे बच्चे ने मुझे भांप लिया और मुझ से कहा के मम्मी पढाई में यह तो होता ही है आप फिकर क्यूँ करती हो आना जाना लगा रहेगा ..मेरे शोहर मुझ पर थोड़ा इस वक्त भावुक होने पर नाराज़ हुए लेकिन फिर मेने दिल को मजबूत किया और बच्चे को कहा के बेटा मुझे ही मेरा तीस साल पहले का मंजर याद आ गया मुझे भी ऐसे ही मेरे मम्मी पापा टोंक से अजमेर होस्टल पढने के लियें छोड़ कर गए थे और तब मेने भी भावुक हुए रोते बिलखते मेरे माँ बाप से यही अल्फाज़ कहे थे ......................श्रीमती रिजवाना अख्तर कोटा राजस्थान
1 comments:
आदमी जो कहता है , आदमी जो सुनता है ,
जिंदगी भर वो सदाएं पीछा करती हैं।
दिलचस्प वाक़या !
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