एक मुस्लिम राष्ट्र मे गैर मुस्लिम होने की पीड़ा

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  • Sunday, March 6, 2011
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  • अहसास की परतें - old
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  • पाकिस्तान में बसे अल्पसंख्यकों ने पिछले दिनों दो दिन का एक सम्मेलन किया था जिसमें हिन्दू, ईसाई, सिख और मिर्जा हुसैन अली नमूरी बेतुत्लाह के अनुयाईयों ने भाग लिया था। सम्मेलन में सभी लोगों ने इस बात पर रोष व्यक्त किया कि पाकिस्तानी मुस्लिम समाज और अधिकारियों द्वारा हर पहलू से शोषण किया जा रहा है। सेना में भर्ती, सिविल नौकरियां बैंकों तथा अन्य संस्थाओं में अल्पसंख्यकों को नौकरी का मौका ही नहीं दिया जाता। फिर भी यदि उनकी भर्ती हो भी जाती है तो उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर तैनात नहीं किया जाता और उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है। एक हिन्दू पत्रकार सतनाम ने कहा कि अगर कोई हिन्दू अपनी काबिलियत के बल पर ऊंचे पद पर पहुँच भी जाए तो उसे किसी मुस्लिम जूनियर अधिकारी के नीचे काम करना पड़ता है।



    पाकिस्तानी कानून में हाउसिंग कॉलोनियों में हिन्दू न तो कोई प्लॉट खरीद सकता है न को मकान। प्रभुदेवा नामके एक हिन्दू ने सकूर में अपने एक मुस्लिम मित्र के नाम पर प्लाट खरीदना पड़ा क्योंकि वह वहाँ जमीन नहीं खरीद सकता था। आज़ादी के बाद हुए विभाजन के बाद भी पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र में हर जगह हिन्दुओं का वर्चस्व था मगर आज सभी हिन्दू वहाँ दोयम दर्जे का जीवन जीने को मजबूर हैं। मैगवार जाति के पढ़े-लिखे हिन्दू नौजवानों ने एक संस्था बनाई है पुकार मैगवार साथ जिसने भविष्य की कई योजनाएं बनाई हैं। पाकिस्तान की 16 करोड़ से अधिक की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी दो फीसदी से भी कम है। बँटवारे के 62 साल बाद पाकिस्तान में हिन्दुओं की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।

    पाकिस्तान सरकार हिन्दुओं की संख्या कम दिखाने के लिए आँकड़ो में फेरबदल करती है थरपाकर में हिन्दू बहुसंख्या में हैं लेकिन सरकार ने मुसलमानों का बहुमत दिखाने के लिए हिन्दुओं और मुसलमानों की संख्या क्रमशः 49 और 51 प्रतिशत कर दी है।



    पाकिस्तान के संविधान में कहा गया है कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सरकार को हिफ़ाज़त करनी पड़ेगी और उन्हें नौकरियाँ देनी होंगी लेकिन हक़ीक़त में ये सब बातें कागज़ों पर ही सीमित है। पाकिस्तान के स्कूलों हिन्दुओं के बच्चों को हिन्दू धर्म के बारे में नहीं पढ़ सकते न कोई हिन्दू अपने बच्चे को हिन्दू धर्म के बारे में पढ़ा सकता है, हर हिन्दू बच्चे को इस्लाम की शिक्षा लेना जरुरी है। पाकिस्तान में हिन्दू अपने परिजनों का अंतिम संस्कार तक हिन्दू रीती-रिवाजों के साथ नहीं कर सकते। पाकिस्तान में किसी भी हिन्दू की मौत होने पर उसके शव का अंतिम संस्कार हिन्दू रीति से नहीं किया जा सकता हर हिन्दू को अपने परिजनों के शव को क्रबिस्तान में दफन करना पड़ता है।



    बँटवारे के समय पाकिस्तान में हर शहर में शमशान घाट थे, पाकिस्तानी प्रशासन ने स्थानीय गुंडों की मदद से सभी श्मशान घाटों को नष्ट कर उन पर अतिक्रमण करवाकर उनका नामोंनिशान मिटा दिया। ले-देकर लाहौर के नानक साहब (गुरू नानक साहब का जन्म स्थान जहाँ आज एक बहुत बड़ा गुरुद्वारा है और सिख समाज के परिजनों का अंतिम संस्कार यहाँ किया जाता है) में एक श्मशान घाट बचा है। लेकिन पाकिस्तान में बदहाली, बेबसी और गरीबी में जी रहे हिन्दू परिवारों के पास इतना पैसा नहीं होता है कि वे अपने परिजनों के शव किसी दूसरे गाँव से यहाँ अंतिम संस्कार के लिए लेकर आएँ। पहले पाकिस्तान के सदन में हिन्दुओं को उनकी संख्या के आधार पर सीटें दी जाती थी, लेकिन षड़यंत्रपूर्वक हर जगह हिन्दुओं की आबादी को कम दिखाकर उनकी जगह इसाईयों को ये सीट दी जा रही है।



    पाकिस्तान से पिछले चार साल में लगभग पाँच हजार हिन्दू परिवार पलायन करके भारत आ चुके हैं। पाकिस्तान में हिन्दुओं पर तालिबान और अन्य शक्तियाँ भयंकर अत्याचार कर रही हैं। पाकिस्तान में खासकर स्वात घाटी में सिख समुदाय और उससे पहले पूरे पाकिस्तान में हिन्दुओं के साथ भारी अत्याचार किया जा रहा है। अल्पसंख्यकों के प्रति पाकिस्तान सरकार का अब तक का रिकार्ड यह दर्शाता है कि वह इस बारे में अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं कर रही है। भारत सरकार पाकिस्तान के साथ आधिकारिक मुलाकातों में चिकनी चुपड़ी बातें तो करती है लेकिन वहां हिन्दुओं और सिखों के साथ पिछले कुछ सालों से हो रहे अत्याचार के बारे में खामोश बैठी हुई है।



    वर्ष 2006 में पहली बार भारत-पाकिस्तान के बीच थार एक्सप्रेस की शुरूआत की गई थी। हफ्ते में एक बार चलने वाली यह ट्रेन कराची से चलकर भारत के बाड़मेर के मुनाबाव सीमा से होकर जोधपुर तक जाती है। इस ट्रैन से पहले साल में लगभग 392 हिन्दू इस भारत आए थे। 2007 में ये आँकड़ा बढ़कर 880 का हो गया। 2008 में यह संख्या 1240 थी जबकि इस साल अगस्त तक एक हजार से ज्यादा हिन्दू भारत आए। भारत आए सभी पाकिस्तानी हिन्दू अपनी वीजा अवधि को बढ़ाकर यहाँ रह रहे हैं और भारतीय नागरिक बनने की आस में हैं। हालांकि, यह आधिकारिक आँकड़ें हैं लेकिन सूत्रों पर गौर करें तो यह संख्या इससे कहीं अधिक है।पाकिस्तान में हिन्दुओं की हालत काफी दयनीय व चिंताजनक बनती जा रही है। हालात इतने बिगड़ते जा रहे हैं कि वहां पर जबरन अल्पसंख्यक हिन्दुओं को कट्टरपंथी मुल्लाओं द्वारा देश छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इस कारण पाकिस्तान से भारत आ रहे हिन्दुओं की संख्या में भारी उछाल आया है।



    दो हफ्ते पूर्व थार एक्सप्रेस से भारत पहुँचे पाकिस्तान के रहिमियार खान जिले के निवासी राणाराम पर तालिबानी कट्टरपंथियों द्वारा जुल्म ढाने की रोंगटे खड़ी करने वाली दास्तान सुनकर पत्थर ह्रदय व्यक्ति भी पसीज जाए। कट्टरपंथी तालिबानी उसकी पत्नी को न केवल उठाकर ले गए बल्कि बलात्कार के बाद उसे जबरन मुसलमान बना दिया। तालिबानियों ने उसकी छोटी बच्ची का भी अपहरण कर लिया तथा उसका नाम बदल कर शबीना रख दिया। कई महीनों की कवायद के बाद राणाराम बच्ची को तो वापस हासिल करने में कामयाब हो गए लेकिन रेहाना बनी पत्नी उसे वापस नहीं मिल सकी। आखिर राणाराम ने अपने बच्चों की सुरक्षित जिंदगी के लिए भारत का रूख किया। राणाराम ने जैसे ही भारत के मुनावाब स्टेशन की सरजमीं पर कदम रखा, उसकी आँखें भर आई। हालांकि, ये खुशी के आंसू थे लेकिन उनके चेहरों पर तालिबानी कट्टरपंथियों का खौफ पढ़ा जा सकता था। लेकिन ये केवल राणाराम के साथ ही हुआ हो ऐसा नहीं है सैकड़ों हिन्दू परिवार ऐसे हैं जिनकी बहू-बेटियों को तालिबानी और स्थानीय मुस्लिम गुंडे उठाकर ले गए हैं और उनको जबरन मुसलमान बनाकर अपने घरों में कैद करके रख लिया है।

    --------------



    पाकिस्तान के दक्षिण तटीय शहर कराची के एक निजी अस्पताल में काम करने वाली युवा नर्स बानो पिछले महीने से लापता है। नर्स के परिजनों ने घटना के पीछे धर्मातरण की आशंका जताई है। उनका आरोप है कि कई बार शिकायत के बावजूद पुलिस ने नर्स का पता लगाने की जहमत नहीं उठाई। घटना से नाराज हिंदू माहेश्वरी समुदाय के दर्जनों लोगों ने कराची प्रेस क्लब के बाहर प्रदर्शन किया और उन्होंने केंद्रीय व प्रांतीय सरकार और सुरक्षा एजेंसियों से बानो की सुरक्षित वापसी के लिए गुहार लगाई, लेकिन पाकिस्तान सरकार के कानों पर जूँ तक नहीं रेंगी है। कराची प्रेस क्लब के सामने हाथों में नारे लिखी तख्तियां लिए प्रदर्शनकारी तीन सप्ताह से लापता बानो की तुरंत बरामदगी की मांग कर रहे थे। बानो एक निजी अस्पताल में काम करती थी। बानो की अस्पताल में मालिक के साथ अनबन थी। उन्होंने बताया कि हालांकि पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है लेकिन अब तक उसने कोई कार्रवाई नहीं की है।



    पाकिस्तानी अखबार 'डेली टाइम्स' ने खबर दी है कि बानो तीन सप्ताह से लापता है। बानो के परिजनों को डर है कि हमें डर है कि कहीं उसकी हत्या न कर दी गई हो या जबरन धर्म परिवर्तन कराकर किसी मुस्लिम युवक से उसकी शादी न कर दी गई हो।

    सिंध प्रांत में अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय की महिलाओं और लड़कियों का अपहरण और बलात धर्मान्तरण करा कर जबरदस्ती विवाह कराना एक आम बात हो चुकी है और विगत कई सालों से ये कुत्सित खेल चल रहा है।



    ऐसी ही कुछ घटनाएँ हैं जो ये सोचने पर मजबूर करती है कि जो भारतीय मीडिया पाकिस्तान की गुलामी में रात-दिन कसीदे पढ़ता रहता है उनके कानों में पाकिस्तान में रह रहे हिन्दुओं की चीखें क्यों नहीं पहुँचती। एक हिन्दू लड़की रबीना के साथ जो हुआ वह बात तो सामने आ गई मगर ऐसी घटनाएँ पाकिस्तान में रह रहे हर तीसरे हिन्दू परिवार केसाथ हो रही है। रबीना पाकिस्तान के सकूर में रहती थी और डॉक्टर बनना चाहती थी। इन्टरमीडिएट की परीक्षा में अच्छे अंक लेकर वह शहर के मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए गई। उसका नाम और पिता का नाम बताते ही भर्ती करने वाले अधिकारी ने बताया कि उसे बिलोचिस्तान का डोमिसाइल सर्टिफिकेट (स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र) लाना होगा। रबीना के पिता क्वेटा गए और कई दफ्तरों के चक्कर काटने के बाद उनको कहा गया कि कि रबीना का परिवार अब सकूर में रह रहा है अत: वह सिंध से ही ये डोमिसाइल सर्टिफिकेट प्राप्त करें।



    रबीना ने काफी भागदौड़ की पर उसे निराशा ही हाथ लगी। अब उसने डॉक्टर बनने का सपना छोड़ दिया है, क्योंकि सभी मेडिकल कॉलेजों ने धर्म की आड़ में उसे एडमिशन देने से इंकार कर दिया है। आज वह घर में बैठी हुई है। कुछ दिन पहले धारकी कस्बे से एक हिन्दू विवाहित महिला का अपहरण करके उसका जबरन धर्म परिवर्तन किया गया। बाद में उसे एक स्थानीय अदालत में पेश करवाकर उससे जबरन बयान दिलवाया गया कि उसने मुस्लिम लड़के से निकाह कर लिया है। बाद में उस इस हिन्दू महिला ने किसी तरह अपने माता-पिता से सम्पर्क करके बताया कि किस तरह उसका अपहरण कर स इसके बाद हिन्दू जाति का एक लडका अजीत इस संबंध में आगे आया। वह उच्चाधिकारियों के समक्ष यह रहस्य खोलता उसके पहले ही उसे बुरे परिणाम भोगने की धमकी दी गई। यह धमकी बारचुंडी के मुल्ला ने अजीत को दी कि वह इस मामले में चुप्पी साधे रखे। उधर, हिन्दू लड़की को भी धमकी दी गई यदि उसने पुन: हिन्दू परिवार में शामिल होने की कोशिश की तो उसके घरवालों को मार दिया जाएगा। बाद में अपहरण की गई उस महिला को गाँव में भीड़ में ले जाकर उससे कहलवाया गया कि इस्लाम धर्म उसने अपनी मर्जी से कुबूल किया है।

    10 comments:

    Anonymous said...

    दुखद ...

    DR. ANWER JAMAL said...

    शर्मनाक.

    ROHIT said...

    भाई हर धर्म हिन्दु धर्म की तरह महान नही होता. दूसरे धर्म के लोगो से प्यार ,करुणा,अपनापन,समानता का व्यवहार केवल हिँदु ही कर सकते है. उसी का उदाहरण है हिँदुस्तान मे इतने धर्मो के लोग खुशहाली से रहते है. यहाँ लड़ाई तभी होती है जब कुछ लोग हिँदुओ के इतने अच्छे व्यवहार का गलत फायदा उठाना चाहते है. और रही बात पाकिस्तान की तो
    हम पाकिस्तानी लोगो से और क्या उम्मीद कर सकते है. राक्षसो से केवल राक्षसी कामो की उम्मीद की जा सकती है
    और पाकिस्तानी राक्षस वो कर भी रहे है.उसमे गलत क्या है.
    और रही बात पाकिस्तान मे रह रहे हिँदुओ की तो मै तो यही चाहूंगा कि वो सब भारत मे आ जाये
    जब यहाँ पर 6 करोड़ बांग्लादेशी अवैध रुप से रह सकते है
    तो पाकिस्तानी हिँदु क्यो नही ?

    ROHIT said...

    भाई हर धर्म हिन्दु धर्म की तरह महान नही होता. दूसरे धर्म के लोगो से प्यार ,करुणा,अपनापन,समानता का व्यवहार केवल हिँदु ही कर सकते है. उसी का उदाहरण है हिँदुस्तान मे इतने धर्मो के लोग खुशहाली से रहते है. यहाँ लड़ाई तभी होती है जब कुछ लोग हिँदुओ के इतने अच्छे व्यवहार का गलत फायदा उठाना चाहते है. और रही बात पाकिस्तान की तो
    हम पाकिस्तानी लोगो से और क्या उम्मीद कर सकते है. राक्षसो से केवल राक्षसी कामो की उम्मीद की जा सकती है
    और पाकिस्तानी राक्षस वो कर भी रहे है.उसमे गलत क्या है.
    और रही बात पाकिस्तान मे रह रहे हिँदुओ की तो मै तो यही चाहूंगा कि वो सब भारत मे आ जाये
    जब यहाँ पर 6 करोड़ बांग्लादेशी अवैध रुप से रह सकते है
    तो पाकिस्तानी हिँदु क्यो नही ?

    ROHIT said...

    भाई हर धर्म हिन्दु धर्म की तरह महान नही होता. दूसरे धर्म के लोगो से प्यार ,करुणा,अपनापन,समानता का व्यवहार केवल हिँदु ही कर सकते है. उसी का उदाहरण है हिँदुस्तान मे इतने धर्मो के लोग खुशहाली से रहते है. यहाँ लड़ाई तभी होती है जब कुछ लोग हिँदुओ के इतने अच्छे व्यवहार का गलत फायदा उठाना चाहते है. और रही बात पाकिस्तान की तो
    हम पाकिस्तानी लोगो से और क्या उम्मीद कर सकते है. राक्षसो से केवल राक्षसी कामो की उम्मीद की जा सकती है
    और पाकिस्तानी राक्षस वो कर भी रहे है.उसमे गलत क्या है.
    और रही बात पाकिस्तान मे रह रहे हिँदुओ की तो मै तो यही चाहूंगा कि वो सब भारत मे आ जाये
    जब यहाँ पर 6 करोड़ बांग्लादेशी अवैध रुप से रह सकते है
    तो पाकिस्तानी हिँदु क्यो नही ?

    Bharat Bhushan said...

    जिन लोगों पर अत्याचार हुए हैं उनमें जो समूह दिखाई पड़ रहे हैं (मेगवार, मेघवार, महेश्वरी आदि) वे भारत और पाक में दलित कहलाते हैं. उनकी सुनवाई न भारत में है न पाकिस्तान में. यह जातिगत कारणों से मानव समूहों पर उतारी गई ग़रीबी के कारण है. पाकिस्तान में इनके साथ जो अत्याचार हो रहा है उसे भारत सरकार अपने यहाँ ही रोकने के मूड में नहीं है. मूड तो मूड ठहरा. इस नज़रिए से मुझे डॉ. अंबेडकर का धर्म संबंधी निर्णय बेहतर लगता है.

    Anonymous said...

    रोहित भाई आपसे पूर्ण्तः सहमत

    यह पोस्ट मूलतः उन लोगो के लिए है जो मिथ्या प्रलाप (रुदाली रुदन) करते रहते हैं कि इस्लाम मे जबरन किसी को धर्म परिवर्तन नही कराते। अगर इस गुट मे जरा भी गैरत होगी तो दोबारा ऐसा नही लिखेंगे।

    Bharat Bhushan said...

    पोस्ट में अंतिम संस्कार को लेकर काफी कुछ लिखा है. यह संस्कार जैसे चाहे किया जा सकता है. भारत में पेड़ कम हो गए तो शायद मिट्टी का तेल इस्तेमाल करना पड़े या दफ्नाने का तरीका अपनाना पड़े, क्या पता. बिजली का प्रयोग तो शुरू हो ही चुका है. मेरी दृष्टि से यह मुद्दा उतना महत्वपूर्ण नहीं है.

    Anonymous said...

    भूषण जी, अगर ज़मीन कम पड जाए तो क्या आप दफनाने की बज़ाए शव के जल प्रवाह का सुझाव देने की हिम्मत करेंगें मुस्लिम बंधुओं एवं इसाई बंधुओं को?

    Anonymous said...

    डॉ अम्बेडकर के प्रज्ञा पर कोइ शक नही

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