ख़याले तर्के मुहब्बत कभी नहीं करना
हुज़ूर ऐसी हिमाक़त कभी नहीं करना
आपके सामने पेश हैं आज कुछ मुख़्तलिफ़ अशआर :
जग के आगे रोना क्या सहराओं में बोना क्या
दिल को दिल से दिल से निस्बत है पीतल चाँदी सोना क्या
-डा. ज़ुबैर फ़ारूक़
तुझे इक कहानी सुनाई थी कोई जुर्म मैंने किया नहीं
तेरा रंग कैसे बदल गया तेरा नाम तक तो लिया नहीं
इक जिस्म जो दिखा है कटे सर के सामने
अपना गवाह खुद है सितमगर के सामने
हाथ ख़ाली जो गया है मेरे दरवाज़े से
उस सवाली ने मेरे घर का भरम तोड़ा है
नुमाइशे जमाल है कि मुफ़लिसी से जंग है
तुम्हारे जिस्म पर लिबास चुस्त है कि तंख है
ये नए मिज़ाज के लोग हैं तुझे इसका कोई पता नहीं
यहाँ लूट लेते हैं राहबर कोई राहज़न से लुटा नहीं
अलीगढ़ की इब्ने सीना एकेडमी में पद्मश्री प्रोफ़ैसर हकीम ज़िल्लुर-रहमान की अध्यक्षता में कल एक मुशायरे का आयोजन हुआ। जश्ने ज़ुबैर के नाम से इस मुशायरे का आयोजन UAE से तशरीफ़ लाए जनाब डा. ज़ुबैर फ़ारूक़ के सम्मान में किया गया जो कि एक अरब शायर हैं और उर्दू में काव्य संग्रह तैयार करने वाले पहले अरब शायर हैं । इसके अलावा उनके 40 काव्य संग्रह हैं ।
नोट : जो शब्द समझ न आए आप उसका अर्थ पूछ सकते हैं ।
'तेरा रंग कैसे बदल गया तेरा नाम तक तो लिया नहीं ?' शेरो शायरी
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1 comments:
anvr bhai ki khoj dr. zuber bhai kaa svaagt he achcha guldta psesh krne ke liyen bdhaayi . akhtr khan akela kota rajsthan
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