हरकीरत 'हीर' जी को शायद अपनी गलती का अहसास हो गया है . एक ब्लागर ने , कौशलेन्द्र जी ने सूचना दी है की उन्होंने इस्लाम को बदनाम करने वाले शब्द अपनी कविता में से हटा दिए हैं . लेकिन यहाँ कोई और क्यों अपील कर रहा है ?
जिसने गलती की है वह तो शायद अपनी ग़लती स्वीकारने के लिए भी तैयार नहीं है .
कौशलेन्द्र जी खुद ब खुद अपील कर रहे हैं -
'जब हम कहते हैं कि यह खूबी तो सिर्फ इसी धर्म में है दुनिया के अन्य धर्मों में नहीं ........तो जाहिर है कि हम दूसरे धर्म पर नकारात्मक टिप्पणी करते हैं'
भाई कौशलेन्द्र जी ! जब हम कहते हैं की हिमालय और गंगा तो बस केवल भारत में ही हैं किसी और देश में नहीं है तो यह एक सच बात है , ऐसा कहने से शेष विश्व के देशों का अपमान कैसे होता है ?
हम तो 'सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा' गाते हैं और हम नहीं मानते कि हम किसी ऐसा करके हम दुनिया के बाक़ी तमाम देशों का अपमान कर रहे हैं .
अच्छे देश को अच्छा देश और अच्छे धर्म को अच्छा धर्म कहने पर जिसे आपत्ति हो उसे बुद्धिजीवी तो नहीं कहा जा सकता .
आओ सब मिलकर गायें गाना
'सारे मतों से अच्छा धर्म हमारा'
धर्म वह लगाम है जो सही रास्ते पर चलने की वकालत करता है .....पर हकीकत यह है कि दुनिया भर में भटकाव बदस्तूर जारी है.मैं सभी लोगों से गुजारिश करना चाहूंगा कि किसी के व्यक्तिगत ब्लॉग को धर्म-प्रचार का माध्यम न बनाया जाय ...और न ही किसी धर्म विशेष को तुलनात्मक दृष्टि से हेय प्रदर्शित किया जाय...किसी को किसी की भावनाएं आहत करने का कोई हक नहीं .....जब हम कहते हैं कि यह खूबी तो सिर्फ इसी धर्म में है दुनिया के अन्य धर्मों में नहीं ........तो जाहिर है कि हम दूसरे धर्म पर नकारात्मक टिप्पणी करते हैं .......लोकतंत्र का लिहाज़ किया जाना चाहिए ........जो मुद्दे की बात है उससे भटकने की आवश्यकता नहीं है.हीर जी ने इस्लाम शब्द हटा दिया है अब बात यहीं ख़त्म हो जानी चाहिए. इस शब्द के स्तेमाल से यदि किसी को चोट लगी हो तो मैं हीर जी की ओर से क्षमाप्रार्थी हूँ .........बस अब और इस विषय पर चर्चा न की जाय. मुख्य मुद्दा है "स्त्री-शोषण" ...कहीं कम कहीं ज्यादा ......है दुनिया भर में....तो पुरुषों का क्या उत्तर दायित्व बनता है ...विचारणीय यह है ....हमें इसी विषय पर चिंतन मनन करना है.
6 comments:
great
अच्छा लिखा है।
वैसे जहां तक मेरी जानकारी है, सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा लिखने वाले अल्लामा इकबाल ने देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान जाकर यह लिख दिया, सारे जहां से अच्छा पाकिस्तां हमारा।
खैर ये तो अलग बात हो गई पर आपकी पोस्ट चिंतन करने योग्य है।
@ भाई अतुल जी ! आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पाकिस्तान के बारे में अल्लामा इकबाल ने यह शेर कभी नहीं लिखा कि
सारे जहाँ से अच्छा पाकिस्तान हमारा
और अगर वे लिख भी देते तो हम न मानते। वैसे भी पाकिस्तान सांस्कृतिक रूप से आज भी भारत का अविभाज्य अंग है ।
मेरे पास एक योजना है जिससे पाकिस्तान मात्र 5 वर्षों में ही भारत के साथ राजनीतिक रूप से भी सदा के लिए जुड़ सकता है और वह अपनी शरारतों से भी तौबा कर लेगा । कभी इस पर जरूर चर्चा करेंगे , मालिक ने चाहा तो ।
अनवर जी, कौशलेन्द्र जी की टिप्पणी उचित है---
--आपका उदाहरण अपर्याप्त है क्योंकि गन्गा व हिमालय नाम वाले सन्ग्याएं हैं(प्रोपर नाउन) जो वास्तव में सिर्फ़ भारत में ही हैं, एक यूनीवर्सल सत्य है...जबकि धर्म एक जाति वाचक सन्ग्या है, सब जगह मौजूद है....
---इसी भांति देश एक जमीन का हिस्सा है और सर्व-मान्य तथ्य है देश-भक्ति..अतः सारे जहां से अच्छा...सब अपने अपने देश को कह सकते हैं...जबकि धर्म व्यक्तिगत विचार, व्य्हवहार व रहने का तरीका है, व अच्छा कहने का सभी को हक है, अपने-अपने ढंग से रहने का अधिकार है...पर उसीको दुनिया में सबसे अच्छा कहना सही नहीं है खासकर अन्य धर्मों की कमियां व बुराई के साथ....सिवाय बाकायदा शास्त्रार्थ के समय के....
समझदार को समझने के लिए एक मौका मिल जाये बहुत है
आप तो बार बार मौका दे रहे हैं
अल्लाह से दुआ भी करते रहिए मेरी तरह सभी को सच्चा सीधा रास्ता मिल जाए
आमीन
अनवर जमाल तुम्हारी जानकारी सदैव की भांति अपूर्ण एवं भ्रांतिपूर्ण है - इकबाल ने पाकिस्तान जा कर लिखा "सारे जहां से अच्छा पाकिस्तान हमारा, मुस्लिम हैं हम वतन है सारा जहाँ हमारा"
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