ब्लाग प्रवर्तक कौन ?

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  • Sunday, February 27, 2011
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  • DR. ANWER JAMAL
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  • 'महान ममता मंडल' की स्थापना एक स्वागत योग्य क़दम है । हिंदी ब्लाग जगत में यह अभूतपूर्व है लेकिन हिंदी ब्लाग जगत के नर-मठों के कर्मठों की ओर से इसे नज़र अंदाज़ कर दिया गया क्योंकि उनका मानना है कि अच्छा काम केवल हम कर सकते हैं या फिर यूं कह लें कि जो काम वे करते रहते हैं , उनकी नज़र में बस वही काम अच्छा है । जब ये अपने वर्ग के ही सदस्यों की, दूसरे पुरुषों के अच्छे कामों की सराहना से बचते हैं तो ये नारी की कुर्बानियों को क्या समझ पाएँगे ?
    भूख जब बच्चों की आँखों से उड़ा देती है नींद
    रात भर क़िस्से कहानी कह के बहलाती है माँ

    सबकी नजरें जेब पर हैं , इक नज़र है पेट पर
    देख कर चेहरे को हाले दिल समझ जाती है माँ

    वंदना गुप्ता जी को 'All India Bloggers Association' ब्लाग का चार्ज देकर और महान ममता मंडल की स्थापना करके मेरी नज़र में
    एक ब्लाग प्रवर्तक का दर्जा हासिल कर लिया है ।
    अब अगर किसी को विरोध करना है तो वह जल्दी से अपना विरोध दर्ज करा दे अन्यथा वह सहमत समझ लिया जाएगा ।

    6 comments:

    अहसास की परतें - old said...

    आश्चर्य है, नारियों के सम्मान की चिंता मे घडियाली आंसू बहाए जा रहे हैं। पर सबको मालूम पड़ गई है इस दोहरे चरित्र वाले व्यक्ति की सच्चाई, अपने ही ब्लॉग पर बहन - बहन बोल कर डॉ दिव्या श्रीवास्तव की छीछालेदर करने वाले धूर्त को कोई भाव देगा भी तो क्यों?

    DR. ANWER JAMAL said...

    @ 'अहसास ...'
    आप ख़ुद को मेरा दुश्मन समझते हैं , मेरी निंदा करते हैं और नफ़रत में आप इतने अंधे हो चुके हैं कि अपनी सभ्यता खोकर मुझे अश्लील गालियाँ देते हैं । 'अहसास की परतें-समीक्षा' नाम से आपने एक पूरा ब्लाग ही मुझे बुरा कहने के लिए बना लिया है और उसे जिस Gmail अकाउंट से बनाया है उसमें भी आपने मेरे नाम के साथ भद्दी गाली जोड़ रखी है और इसी अकाउंट से आप हिंदी महिला पुरुष ब्लागर्स को लिंक भी भेजते हैं और उन्हें अश्लील गालियाँ पढ़ने पर मजबूर करते हैं और आप अपने हाथ में झंडा उठाए घूम रहे हैं हिंदू धर्म का ?
    हिंदू धर्म तो गालियाँ देने से रोकता है , उसका उल्लंघन करके आप किस प्रकार उसकी रक्षा कर सकते हैं ?
    ख़ैर , इस सबके बावजूद मैंने आपको HBFI का सदस्य बनाया है क्योंकि मैं आपसे प्यार करता हूँ ।
    'हिंदी ब्लागर्स फोरम इंटरनेशनल HBFI' हिंदी ब्लागर्स की एक सम्मानित संस्था है जिसे दुनिया भर में पढ़ा जाता है । इसमें हरेक लाभकारी विषय पर आप लिख सकते हैं और दूसरों के लेखन पर बेधड़क अपनी राय भी दे सकते हैं लेकिन किसी को भी मूर्खादि नहीं कह सकते । इस साझा ब्लाग की पहली पोस्ट में ही यह नियम बता दिया गया है । भविष्य में धूर्तादि कहने की इस गलती की पुनरावृत्ति आपके द्वारा न की जाय अन्यथा आपकी सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी ।
    और यह भी याद रखिए कि मुझे पता है कि आप कौन हैं और कहाँ नौकरी करके लौटे हैं ?

    अहसास की परतें - old said...

    अनवर ज़माल, दूसरों को लिलिपुट की संज्ञा दे कर तुमने सिद्ध कर दिया है कि तुम अहंकारी लोगो की सूची मे शीर्ष पर ही मिलोगे। पर इससे मुझे क्या? तुम तो धूर्तता की सूची मे भी शीर्ष स्थान पर हो, जिसने मुझे मज़बूर किया कि मैं भी एक ब्लॉग प्रारंभ करूं अन्यथा मेरे पास इतना समय नही है कि तुम्हारे जैसे पिस्सुओं पर उसे खर्च करूँ।

    तुम्हे जो शब्द अश्लील लगते हैं वो सब मैने तुम्हारे ब्लॉग पर ही पढे और सीखे हैं। मैने किसी धर्म का झण्डा नही उठाया हुआ है मैने तो सिर्फ तेरे द्वारा फैलाए गये झूठ का तिलस्म तोडने का बीड़ा उठाया हुआ है, अपना झूठ का प्रचार बंद कर दे मैं भी चुप हो जाउँगा। और जो सभी लोगो को संदेश भेजता रहता हूं वो भी बद कर दूंगा। हां मेरा धर्म मुझे गालियां मुझे गाली देने से रोकता है, मै कोइ गाली नही दे रहा सिर्फ तुम्हारी वस्तुएं तुम्हे वापस कर रहा हूँ।

    अगर तुमने मुझे HBFI का सदस्य कर क्या कोई एहसान किया है? तुमने सोचा कि इसको अपने साथ मिलाने के लिए इस पर चारा फेंका जाए, पर हम उनमे से नही हैं जो गलत का किसी भी सूरत मे समर्थन करें। अगर तुम मुझसे प्यार करते हो तो मेरे धर्म का अपमान करना बंद करो।

    झूठ का एक और नमून दे ही दिया तुमने यहां "'हिंदी ब्लागर्स फोरम इंटरनेशनल HBFI' हिंदी ब्लागर्स की एक सम्मानित संस्था है जिसे दुनिया भर में पढ़ा जाता है" जुम्मा जुम्मा चार दिन हुए इसको चालू हुए, और यह दुनिया भर मे पढी जाने लगी? बढिया है।

    मुझे सदस्यता से निकालने की धमकी मत दो, मैं तुम्हारे पास इसकी भीख मांगने नही आया था, और न ही इसका मुझे कोई मोह है, रहे तो रहे न रहे तो ज्यादा अच्छा।

    मुझे यह भी धमकी मत दो कि तुम मुझे जानते हो, अगर जानते हो तो उखाड लो जो उखाड सको मेरा।

    DR. ANWER JAMAL said...

    @ समीक्षा सिंह जी ! मैं आपको ब्लाग से निकालना नहीं चाहता हूँ और न ही मैं यह कह रहा हूँ कि आप मेरा विरोध बंद कर दें । आप मेरा विरोध करना चाहते हैं तो मेरा विरोध जरूर करें लेकिन हम दोनों जिस फोरम के सदस्य हैं , उसके नियमों का पालन मेरी तरह आपको भी करना होगा , मैं आपसे सिर्फ इतनी विनती कर रहा हूँ ।
    क्या ब्लाग जगत में सामूहिक ब्लाग के संचालक ने मेरी तरह कभी अपने किसी कट्टर विरोधी को अपने ब्लाग की सदस्यता देने की हिम्मत दिखाई है ?
    कभी नहीं दिखाई । इसीलिए वे लिलीपुट हैं ।
    मैं चाहता हूँ कि मैं अपने विरोध में उभरने वाले स्वरों को भी दुनिया के सामने लाऊँ । इसी लिए मैंने अपने दूसरे विरोधियों के साथ आपको भी इस ब्लाग HBFI का सदस्य बनाया है और आगे भी बनाए रखना चाहता हूँ । आशा है आप नियमों का पालन करते हुए इस ब्लाग में रहकर मेरा विरोध करेंगे ताकि लोग मेरी हकीकत जान सकें। यहाँ आपके ब्लाग से ज्यादा पाठक आते हैं इसलिए आपका यहाँ मौजूद रहना बहुत जरूरी है।
    मैं वह सोचता हूँ जो दूसरे नहीं सोच पाते और मैं वह करता हूँ जो दूसरे दूसरे नहीं कर पाते ।
    धन्यवाद !

    अहसास की परतें - old said...

    अनवर यह कोइ नई बात नही है हिन्दुओं के लिए कि वो अपने विरोधियों के साथ सहिष्णुता से पेश आएं, स्वामी श्रद्धानंद जी के आश्रम मे उनके परिचित और उनके विरोधी भी आते थे, वहां रह कर नमाज़ भी पढते थे (यज्ञ शाला मे नमाज़ पढते थे) और उनके गुरुकुल मे इसाई धर्म की खुबियां बताते हुए / प्रचार करते हुए, वही रह कर अपनी पढाई भी करते थे, अतः यह दंभ कि ऐसा सिर्फ जमाल कर सकता है निकाल दो।

    वैसे तो मै किसी को गाली देने मे यकीन नही करता, परन्तु आपकी महिमा ही कुछ निराली है, मुझे अपने पथ से डिगा दिया, अन्यथा आपका नाम इस तरह बदनाम न किया होता e-Mail id मे। अब तो उसको मैं बदल नही सकत (ब्लॉग जो register कर लिया है) बहन शिखा को धन्यवाद बोलिएगा जो उसके कहने पर और मेरे दूसरे साथियों (राहुल, आलोक, और संजय) के कहने पर ब्लॉग पोस्ट से कुछ शब्द गायब कर दिए गये। ऐसे मे तुम्हारे ब्लॉग पर मैं गाली नही दूंगा, निश्चिंत रहो, पर हाँ धूर्त गाली नही विशेषण है और मै इस पर कायम हूँ कि तुम छद्म धर्म निरपेक्षतावादी धूर्त हो।

    वैसे यह समीक्षा सिंह कौन है? मेरा भी परिचय कराये।

    DR. ANWER JAMAL said...

    @ भाई समीक्षा सिंह जी ! आपने मुझे अपने ब्लाग पर अश्लील गालियाँ दीं लेकिन मुझे कुछ बुरा नहीं लगा बल्कि उल्टे खुशी ही हुई और सबसे पहले आपका स्वागत करने वाला और आपको कमेँट करने वाला आपका पाठक भी मैं ही था । मैंने आपसे कभी नहीं कहा कि आप मुझे गालियाँ न दें । आप मुझे अपने ब्लाग पर या मेरे निजी ब्लाग पर खूब जी भर कर गालियाँ दीजिए। मैं आपसे गालियाँ बंद करने के लिए न कहूंगा इसीलिए मुझे बहन शिखा या अन्य को धन्यवाद कहने की कोई ज़रूरत नहीं है , उल्टे उन्होंने आपके ब्लाग से गालियाँ डिलीट करवाकर मेरा कितना नुक़्सान किया है ?
    इसका पता आपमें से किसी को भी नहीं है ।
    यह एक साझा ब्लाग है और इसके कुछ नियम निश्चित हैं । इसलिए मुझे आपको टोकना पड़ा ।
    आप मुझे अपना गुरू मानते हैं तो आप अपने गुरु के रहते हुए email id को बदलना असंभव क्यों मानते हैं ?
    अनवर जमाल आपके ब्लाग को सुरक्षित रखते हुए आपके ब्लाग की email id बदल सकता है । लेकिन आप पूछिए तो सही।
    लेकिन मुझे आपकी इसी id से फ़ायदा है ।
    मैं दंभ नहीं करता बल्कि सच कहता हूँ कि किसी भी हिंदी ब्लागर ने मेरी तरह अपने किसी दुश्मन/विरोधी को अपने साझा ब्लाग में आज तक शामिल नहीं किया । आप भी पूरे ब्लाग जगत से ऐसा एक भी उदाहरण न दे सके । स्वामी श्रद्धानंद जी ने भी किसी ऐसे आदमी को अपने आश्रम में कभी जगह नहीं दी जो कि उन्हें धूर्त कहता हो । आप मुझे धूर्त मानते हैं तो मानिए । अगर मैं ऐसा नहीं हूँ तो आपके मानने से तो मैं वैसा हो नहीं जाऊँगा और अगर मैं धूर्त हूँ और आप मुझे धूर्त कहने के बजाय संत कहने लगेंगे तब भी मैं धूर्त ही रहूंगा । आपके कहने से मेरा न कुछ बनेगा और न ही कुछ बिगड़ेगा।
    आप वह मानें जो आपका दिल चाहे लेकिन मुझे आपसे प्यार है और जो प्यारा होता है तो उसकी हर अदा प्यारी होती है । आपकी गालियों पर भी मुझे प्यार ही आता है और मैं आपके लिए दुआ करता हूँ । मालिक ने चाहा तो एक रोज आप जान लेंगे कि इस्लाम और वैदिक धर्म में नाम मात्र का भी अंतर नहीं है।
    मैंने आपसे यह भी कहा था कि मैं आपके ब्लॉग को पॉपुलर बनाने की कोशिश करूंगा , सो मैं कर रहा हूँ ।
    समीक्षा करने वाले शेर आप हैं लिहाज़ा समीक्षा सिंह भी आप का ही नाम है । अब मैं आपको रवींद्र सिंह तो कह नहीं सकता और संबोधित करने के लिए कुछ नाम लेना पड़ता है ।
    मालिक आपका भला करे ।

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